img

मुंबई। महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट मामले में 17 साल बाद एनआईए की स्पेशल कोर्ट गुरुवार को फैसला चुना दिया। अदालत ने साध्वी प्रज्ञा और कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया।

विशेष न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने इस मामले का फैसला सुनाते हुए कहा कि केवल संदेह के आधार पर मामले को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। उन्होंने जोर देकर कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपितों के खिलाफ आरोपों को संदेह से परे साबित करने में विफल रहा। न्यायाधीश ने कहा, "समाज के खिलाफ एक गंभीर घटना हुई है लेकिन अदालत केवल नैतिक आधार पर दोषी नहीं ठहरा सकती।"

कोर्ट ने कहा कि धमाका हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं हुआ कि बम मोटरसाइकिल में रखा था। यह भी साबित नहीं हुआ कि मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा के नाम थी। यह भी साबित नहीं हो सका कि कर्नल प्रसाद पुरोहित ने बम बनाया। कोर्ट ने इस घटना में मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये हर्जाना देने का भी आदेश दिया है।

बता दें कि 29 सितंबर, 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मोटरसाइकिल में विस्फोट होने से 6 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल हो गए थे। इस मामले की जांच शुरू में  आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) द्वारा की गई थी, जिसे 2011 में एनआईए को सौंप दिया गया था। एनआईए ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी और सुधाकर द्विवेदी को गिरफ्तार किया था। आज कोर्ट में फैसला सुनाए जाते समय सभी आरोपित कोर्ट में उपस्थित थे। (हि.स.)


Read More: दिल्ली ब्लास्ट केस में बड़ी कार्रवाई ,आतंकी उमर का घर सुरक्षाबलों ने IED से उड़ाया