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धर्म डेस्क। आज यानी सोमवार को पूरे देश में शरद पूर्णिमा का पूर्व मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है। शरद पूर्णिमा की रात लोग घरों की छतों पर चांदी के बर्तनों में खीर बनाकर रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की रोशनी पड़ने से खीर अमृत बन जाती है।

पूर्णिमा तिथि 5 अक्टूबर की रात 09:51 से शुरू होगी और 6 अक्टूबर की रात 11:21 पर समाप्त होगी। हिंदू धर्म में कोई भी त्योहार उदया तिथि (सूर्योदय के समय जो तिथि हो) के अनुसार मनाया जाता है। 6 अक्टूबर को ही उदया तिथि में पूर्णिमा है और चांद भी पूरी रात पूर्णिमा का ही रहेगा। इसलिए व्रत रखने और खीर बनाने के लिए 6 अक्टूबर का दिन ही सबसे उत्तम है।

शरद पूर्णिमा की रात को ही माँ लक्ष्मी का जन्म हुआ था, भगवान कृष्ण ने गोपियों संग महारास रचाया था। आस्था कहती है कि  इस रात चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है।

वहीं विज्ञान का मानना है कि इस रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है, जिससे उसकी किरणों का प्रभाव सबसे ज्यादा होता है। जब खीर को चांदी के बर्तन में रखा जाता है, तो चांदी (जो एक जीवाणुरोधी धातु है) के गुण भी उसमें आ जाते हैं और यह खीर सेहत के लिए बेहद फायदेमंद बन जाती है। माना जाता है कि यह खीर आंखों की रोशनी बढ़ाने, त्वचा में निखार लाने और सांस (अस्थमा) से जुड़ी बीमारियों में बहुत फायदेमंद होती है।

कैसे रखें छत पर खीर

1-शाम को गाय के दूध में चावल और मिश्री डालकर खीर बनाएं।
2-इसे किसी चांदी, मिट्टी या कांसे के बर्तन में निकालें।
3-अब बर्तन को एक पतले जालीदार कपड़े से ढक दें ताकि उसमें कुछ गिरे नहीं, पर चांद की रोशनी सीधी पड़े।
4-इसे 6 अक्टूबर की रात को अपनी छत में ऐसी जगह रखें जहां चांद की रोशनी सबसे ज्यादा आती हो। इसे कम से कम 3-4 घंटे रखें।
5-अगली सुबह, इस ‘अमृत’ वाली खीर को सबसे पहले माँ लक्ष्मी को भोग लगाएं और फिर प्रसाद के रूप में पूरे परिवार के साथ खाएं।
 


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