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मुंबई। बॉलीवुड एक्टर अर्जुन कपूर इन दिनों अपनी फिल्म 'सिंघम अगेन' को लेकर सुर्खियों में हैं। इस फिल्म में अर्जुन कपूर ने विलेन का किरदार निभाया है। इस फिल्म में अर्जुन का किरदार दर्शकों को काफी पसंद आया है। हाल ही में एक इंटरव्यू में अर्जुन ने बताया कि उनकी फिल्मों ने उनकी सेहत पर असर पड़ा है। वह हाशिमोटो बीमारी से पीड़ित हैं।

अर्जुन ने इंटरव्यू में कहा कि, 'जब आपकी फिल्में नहीं चलती हैं तो आप खुद से सवाल करना शुरू कर देते हैं। यह मेरे साथ भी हुआ। जिनकी जान फिल्में हैं। मैंने फिल्मों का आनंद लेना बंद कर दिया था।' मैं अचानक दूसरे लोगों के काम को देख रहा था और खुद से पूछ रहा था कि क्या मैं यह कर सकता हूं और क्या मुझे यह अवसर मिलेगा। कुछ देर बाद मुझे एहसास हुआ कि कुछ दिक्कत है। फिर मैंने थेरेपी शुरू की।'

अर्जुन ने आगे कहा, "मैंने थेरेपी शुरू की, कुछ थेरेपिस्ट के पास गया लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हुआ। फिर मैं किसी ऐसे व्यक्ति से मिला जिसने मुझे बात करने का मौका दिया। उसने मुझे बताया कि मैं उदास था। मैं कभी भी इसके बारे में खुलकर बात नहीं कर सका, लेकिन मैं हाशिमोटो था। एक ऑटोइम्यून बीमारी जो थायराइड को नुकसान पहुंचाती है। उदाहरण के लिए, अगर मैं यात्रा कर रहा हूं और मेरा दिमाग सोचता है कि मैं मुसीबत में हूं, तो मेरा वजन बढ़ जाता है। जब मैं 30 साल का था, तब मुझे ये बीमारी हुई, मेरी मां को भी ये बीमारी थी और मेरी बहन अंशुला को भी ये बीमारी है।'

अर्जुन ने कहा, "यह मेरे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डालता है। इससे कई शारीरिक समस्याएं होती हैं। इसका असर मेरी जीवनशैली पर भी पड़ता है। शरीर में ऊर्जा का स्तर धीरे-धीरे कम होने लगता है। एक अभिनेता होने के नाते मैं अपनी सेहत पर ज्यादा ध्यान देता हूं।"


हाशिमोटो थायरॉयडिटिस क्या है?
हाशिमोटो थायरॉयडिटिस एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपनी ही थायरॉयड ग्रंथि पर हमला करता है। थायरॉयड जो कि तितली के आकार की एक छोटी ग्रंथि होती है जो कि शरीर के मेटाबॉलिज्म, ऊर्जा के लेवल और कई दूसरे जरूरी गतिविधियों को कंट्रोल करती है। इस बीमारी के कारण थायरॉयड में सूजन होती है, जिससे इसका कार्य धीमा पड़ने लगता है। समय के साथ ये हाइपोथायरायडिज्म का कारण बन सकता है, जिसमें थायरॉयड हार्मोन का उत्पादन कम हो जाता है।

क्या है इस बीमारी का इलाज?
हालांकि हाशिमोटो थायरॉयडिटिस का कोई पूरी तरह से इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है। इस बीमारी के इलाज के लिए सबसे सामान्य तरीका थायरॉयड हार्मोन रिप्लेसमेंट दवा का सेवन है। ये दवा शरीर में हार्मोन की कमी को पूरा करती है, जिससे एनर्जी का स्तर बढ़ता है, वजन नियंत्रण में रहता है और शरीर की ठंड के प्रति संवेदनशीलता कम होती है।


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