लखनऊ। ताजमहल को लेकर दायर याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि क्या हम जजों को इसी तरह के केस सुनने की ट्रेनिंग दी गई है। इस मामले में अब दोपहर 2 बजे सुनवाई होगी।
भाजपा नेता डॉ. रजनीश सिंह की याचिका पर जस्टिस डीके उपाध्याय ने कहा- याचिकाकर्ता PIL व्यवस्था का दुरुपयोग न करें। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि पहले जाकर ताजमहल पर रिसर्च करो और फिर आओ। कोर्ट ने कहा कि रिसर्च करने में कोई रोके, तो मुझे बताना।
बता दें कि याचिका में इतिहासकार पीएन ओक की किताब ताजमहल का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि ताजमहल वास्तव में तेजोमहालय है, जिसका निर्माण 1212 एडी में राजा परमार्दी देव ने कराया था। याचिका में यह भी दावा है कि ताजमहल के बंद दरवाजों के भीतर भगवान शिव का मंदिर है। याचिका में अयोध्या के जगतगुरु परमहंस के वहां जाने और उन्हें भगवा वस्त्रों के कारण रोके जाने संबंधी हालिया विवाद का भी जिक्र किया गया है। याची ने ताजमहल के संबंध में एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी (तथ्यों का पता लगाने वाली समिति) बनाकर अध्ययन करने और ताजमहल के बंद करीब 20 दरवाजों को खोलने के निर्देश जारी करने का आग्रह किया है। जिससे सत्यता सामने आ सके।