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स्वयंभू संत रामपाल दोषी करार, पढ़ें-आश्रम में 4 महिलाओं व 1 बच्चे की मौत और बाबा के गुनाह का सच
नई दिल्ली । हिसार में नवम्बर 2014 में स्वयंभू संत रामपाल से जुड़े बरवाला के सतलोक आश्रम में हत्या के दो मामलों में गुरुवार को कोर्ट ने रामपाल को दोषी करार दिया है. रामपाल के ऊपर फैसले के मद्देजनर हरियाणा के हिसार शहर को पूरी तरह से छावनी में तब्दील कर दिया गया. किसी भी अप्रिय घटना की आशंकाओं से बचने के लिए पूरे हिसार शहर में धारा 144 लागाई गई है. दो अलग-अलग मुक़दमे दर्ज किए गए थे. एक केस में रामपाल और उसके 14 समर्थकों और दूसरे केस में रामपाल और उसके 13 समर्थकों को आरोपी बनाया गया था. – रामपाल को हत्या के दो मामलों में कोर्ट ने दोषी करार दिया.
वहीं, आसपास के 7 ज़िलों से पुलिस बल बुलाया गया है और RAF को स्टैंड बॉय पर रखा गया है. अब इस मामले में रामपाल को 16 और 17 अक्टूबर को सजा सुनाई जाएगी. रामपाल को आश्रम से निकालकर जेल तक ले जाने के लिए पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी. करीब दस दिनों तक पुलिस आश्रम में घुस नहीं पाई थी. मामला नवंबर 2014 का है. सतलोक आश्रम के संचालक कई आरोपों से घिरे थे. कोर्ट ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया था. लेकिन उसे तामील नहीं किया जा सका था. रामपाल पुलिस के साथ लुकाछिपी खेल रहे थे. पुलिस ने आश्रम को चारों तरफ से घेर लिया था. लेकिन रामपाल के समर्थक और भक्त पुलिस से लोहा ले रहे थे. वे मरने मारने पर उतारू थे.
आश्रम में महिला की लाश
इसी दौरान 18 नवंबर 2014 को हिंसा के बीच एक महिला की लाश सतलोक आश्रम से बरामद की गई थी. उसकी संदिग्ध मौत के बाद आश्रम पर सवाल उठ रहे थे. लेकिन उसकी मौत का कारण उस वक्त साफ नहीं था. पुलिस ने बड़ी मुश्किल से उस लाश को आश्रम से निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा था.
हिंसा के दौरान हत्या
पुलिस किसी भी कीमत पर रामपाल को गिरफ्तार करना चाहती थी. लेकिन उनके भक्त पुलिस को आश्रम में दाखिल नहीं होने दे रहे थे. वे पुलिस पर गोलियां बरसा रहे थे. हथगोले फेंक रहे थे. पूरी हरियाणा सरकार इस घटना से सकते में आ गई थी. करीब 10 दिन चली इस हिंसा के दौरान 4 महिलाओं और 1 बच्चे की मौत हो गई थी.
रामपाल की गिरफ्तारी
ये दोनों मामले रामपाल के लिए गले की हड्डी बन गए थे. 18 दिन की मशक्कत के बाद आखिरकार हरियाणा पुलिस ने रामपाल को गिरफ्तार कर लिया था. 19 नंबर 2014 की रात 9 बजकर 21 मिनट पर रामपाल को चेहरा छिपाकर आश्रम से बाहर लाया गया. गिरफ्तारी के बाद उन्हें फौरन पंचकुला के अस्पताल ले जाया गया था. जहां मेडिकल करवाने के बाद पुलिस रामपाल को चंडीगढ़ ले गई थी. अगले दिन सुबह उन्हें हाईकोर्ट में पेश किया गया था. उस वक्त रामपाल के समर्थकों ने काफी हंगामा किया था.
गिरफ्तारी पर 50 करोड़ का खर्च
रामपाल को गिरफ्तार करने में हरियाणा पुलिस के पसीने छूट गए थे. 18 दिन की लुकाछिपी के बाद पुलिस ने रामपाल को गिरफ्तार कर लिया था. लेकिन इस पूरे ऑपरेशन पर राज्य पुलिस का 50 करोड़ रुपये से ज्याद का खर्च हुआ था. इस दौरान 6 लोगों की जान गई थी. 250 से ज्यादा लोग ज़ख्मी हो गए थे. कई पुलिसवालों को गंभीर चोटें भी आईं थी.
पुलिस पर लगे थे आरोप
सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल और उनके समर्थकों ने आरोप लगाया था कि आश्रम में की गई पुलिसिया कार्रवाई के दौरान एक महिला और उसके पांच साल के बेटे की मौत हो गई थी. उन दोनों को हिसार के नजदीक अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. महिला मध्य प्रदेश की रहने वाली थी. लेकिन इस मामले में अस्पताल का दावा था कि महिला की मौत हार्ट अटैक से हुई थी. वहीं बच्चे को पहले से ही पीलिया था. उस वक्त पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने रामपाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था. कोर्ट ने हरियाणा सरकार को समय देकर जल्द गिरफ्तारी की फरमान सुनाया था. लेकिन बाबा रामपाल गिरफ्तारी और कोर्ट में पेश होने से बचना चाहते थे.https://www.kanvkanv.com
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शहादत को सलाम : शहीद जवान की पत्नी ने कहा- मुझे नहीं पता था कि उनके साथ यह अंतिम बात होगी

भुवनेश्वर। मुझे नहीं पता था कि पति के साथ यह मेरी अंतिम बात होगी। यह भी नहीं पता था कि वह अब अपने पति की आवाज नहीं सुन पाएंगी। यह कहकर बिलख कर रो पड़ीं शहीद जवान मनोज बेहेरा की पत्नी इललिता। शहीद मनोज कटक जिले के रतनपुर गांव के रहने वाले थे। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में गुरुवार को हुए आतंकी हमले में वे शहीद हो गए। मनोज की शहादत की सूचना मिलने के बाद से ही इललिता बदहवास हैं।
2017 में हुआ था विवाह
पत्नि ने कहा कि उनके पति ने उन्हें बुधवार को फोन किया था और कहा था कि वह श्रीनगर जा रहे हैं। वहां पहुंचकर फिर फोन करेंगे, लेकिन उस समय उन्होंने यह नहीं सोचा था कि यह उनकी अंतिम बात होगी। इसके बाद श्रीनगर से उनके लिए फोन आया, लेकिन इस फोन में उनके पति के शहादत की सूचना दी गई। वर्ष 2017 में 20 जनवरी को उनका विवाह हुआ था। उनकी एक साल की एक बेटी भी है। मनोज की मां कहती हैं कि पिछले साल 24 दिसम्बर को उनका बेटा आया था। उन्होंने 16 जनवरी को अपनी बेटी का जन्मदिन भी धूमधाम से मनाया। गत छह फरवरी को फिर से मनोज ने ड्यूटी ज्वाइन की थी।
शहीदों के परिजनों को 10-10 लाख की सहायता
पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए ओडिशा के दो जवानों के परिजनों को मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने दस-दस लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है। इस हमले में प्रदेश के प्रसन्न कुमार साहू और मनोज बेहेरा शहीद हो गए। दोनों शहीदों के परिजनों से मुख्यमंत्री ने शनिवार सुबह टेलीफोन पर बात भी की।
सभी शिक्षण संस्थानों में शनिवार को होगी मौन प्रार्थना
पुलवामा आतंकी हमले में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों में शनिवार सुबह 11 बजे दो मिनट के लिए मौन प्रार्थना की जाएगी। इसके लिए मुख्यमंत्री पटनायक ने राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों से अनुरोध किया है। https://www.kanvkanv.com
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पुलवामा आतंकी हमला : दिल्ली पहुंचा शहीदों का शव, प्रधानमंत्री मोदी ने अर्पित की श्रद्धांजलि

पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले में शहीद भारत के वीर सपूतों के लिए पूरा देश रो रहा है और पाकिस्तानी सरपस्ती में हो रहे आतंक को खत्म करने की मांग कर रहा है। वहीं देर शाम जम्मू कश्मीर से जवानों के शव दिल्ली लाए गये।
Delhi: Prime Minister Narendra Modi lays wreath on the mortal remains of the CRPF jawans. #PulwamaTerrorAttack pic.twitter.com/59BBNzTmBI
— ANI (@ANI) February 15, 2019
अंतिम संस्कार के दौरान मौजूद रहने को कहा
जानकारी के अनुसार पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों के पार्थिव शरीर को सेना का एक विमान लेकर दिल्ली पहुंचा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों को देर शाम पालम टेक्नीकल एरिया में श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर तीनों सेनाओं के प्रमुख, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद रहे। वहीं पीएम मोदी ने बीजेपी शासित राज्यों के मंत्रियों और बीजेपी सांसदों को शहीद हुए जवानों के अंतिम संस्कार के दौरान मौजूद रहने को कहा है। https://www.kanvkanv.com
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शहादत को सलाम : मौत से पहले सुखजिंदर ने फोन कर पूछा था बेटा रोता तो नहीं, जल्द ही इसके लिए खिलौने भेजूंगा

चंडीगढ़। पुलवामा में हुए आतंकी हमले में जवानों की शहादत ने जहां पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है । शहीदों की इस सूची में पंजाब के तरनतारन जिला के गांव गंडीविंड धत्तल के सुखजिंदर का नाम भी शामिल है। सुखजिंदर की शहादत की खबर जब गांव में पहुंची तो पूरे गांव में मातम फैल गया। सुखजिंदर के घर शादी के आठ साल बाद बेटा हुआ था जिसकी उम्र अभी केवल आठ माह की है।
भाई ने परिवार को शहादत के बारे में जानकारी दी
शहीद के भाई गुरजंट सिंह जंटा ने परिवार को इस शहादत के बारे में जानकारी दी। परिवारिक सदस्यों के अनुसार सुखजिंदर ने फोन कर भाई से पूछा था कि उसका बेटा गुरजीत रोता तो नहीं है। वह जल्द ही इसके लिए खिलौने भेजेगा। इस फोन कॉल के थोड़ी देर बाद ही उसकी शहादत की खबर आ गई। इसके बाद परिवार में कोहराम मच गया।
बेटे को बार-बार चूम रहे थे
सुखजिंदर सिंह सीआरपीएफ की 76वीं बटालियन में बतौर कांस्टेबल तैनात थे। परिजनों के अनुसार शहीद 28 जनवरी को एक माह की छुट्टी के बाद ड्यूटी पर लौटे था। जाते समय वह अपने आठ माह के बेटे गुरजोत सिंह को बार-बार चूम रहे थे। घर में उसकी विधवा सरबजीत कौर व अन्य परिजन हैं, जिनका हाल बेहाल है। गुरजंट सिंह ने बताया कि वीरवार सुबह ही सुखजिंदर ने उसे फोन कर बताया था कि जम्मू-कश्मीर में बंद रास्ता अब खुल चुका है और अब ढाई हजार जवानों का काफिला अपनी मंजिल की ओर बढ़ेगा। https://www.kanvkanv.com
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