लखनऊ। By-election Results 2022 :उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों आजमगढ़ और रामपुर में हुए उपचुनाव में समाजवदी पार्टी (सपा) को बड़ा झटका लगा है। आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में भाजपा को बड़ी जीत हासिल हुई है। भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ 20 हजार से ज्यादा वोटों से जीत गए। वहीं सपा के धर्मेंद्र यादव दूसरे नंबर पर रहे। अखिलेश यादव के विधायक बनने के बाद यह सीट खाली हो गई थी।
वहीं रामपुर में समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता आजम खान अपनी साख नहीं बचा पाए। भाजपा उम्मीदवार घनश्याम लोधी ने सपा के आसिम राजा को करीब 38 हजार वोटों से पराजित किया है। हालांकि चुनाव आयोग से घोषणा होना बाकी है। यह तब हुआ है, जब आजम खान ने सपा मुखिया अखिलेश यादव को रामपुर में प्रचार करने से मना किया था। आजम ने वादा किया था कि वह रामपुर संसदीय सीट पार्टी को जीत कर देंगे। वह ऐसा कर पाने में बुरी तरह असफल रहे।
जीत के बाद मुख्यमंत्री योगी ने भाजपा के दोनों उम्मीदवार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि देश की जनता अब परिवारवादियों, जातिवादियों, सांप्रदायिक उन्माद को भड़काने वाली माफिया को प्रश्रय देने वाली पार्टियों को जनता स्वीकार करने वाली नहीं है।
पीएम ने जीत को बताया ऐतिहासिक
यूपी में दोनों लोकसभा सीट पर भाजपा की को पीएम मोदी ने इसे ऐतिहासिक जीत बताया है। पीएम ने कहा- आजमगढ़ और रामपुर उपचुनाव में जीत ऐतिहासिक है। यह केंद्र और यूपी में डबल इंजन सरकार के लिए व्यापक पैमाने पर स्वीकृति और समर्थन का संकेत देता है। समर्थन के लिए लोगों का आभारी हूं। मैं हमारी पार्टी कार्यकर्ताओं के प्रयासों की सराहना करता हूं।
अपने ही घनश्याम से हार गए आजम
सपा के कद्दावर नेता आजम खान का किला ढह गया है। भाजपा उम्मीदवार घनश्याम लोधी ने चुनाव जीत लिया है। परिणाम आने के साथ ही यह चर्चा शुरू हो गयी है कि आजम अपने घनश्याम से शिकस्त खा गए। घनश्याम कभी आजम के बेहद करीबी हुआ करते थे। आजम के दाहिने हाथ के तौर पर वह उनकी सियासी ट्रेन दौड़ाया करते थे। भाजपा ने घनश्याम को ही टिकट दे दिया। घनश्याम को आजम के सारे दांव-पेंच पता थे। लिहाजा आजम की कोई भी चाल इस बार घनश्याम के सामने नहीं चल पाई और भाजपा को जीत मिल गई। इसके साथ ही आजम पर सियासी संकट मंडराने लगा है।
रामपुर संसदीय क्षेत्र में कब किस दल को मिली जीत
रामपुर से पहले पांच लोकसभा चुनावों में कांग्रेस जीतती रही। पहली बार 1977 में गैर कांग्रेसी दल जनता पार्टी का कब्जा हुआ। 1952 में रामपुर संसदीय सीट से पहला चुनाव कांग्रेस के कद्दावर नेता मौलाना अबुल कलाम आजाद जीते। 1957 और 1962 में भी कांग्रेस के उम्मीदवार क्रमश: अहमद मेहंदी और जुल्फिकार अली खान को जीत मिली। जुल्फिकार अली खान ने 1971 के चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाने में सफल रहे। पहली बार गैर कांग्रेसी दल से 1977 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी के राजेंद्र कुमार शर्मा जीते। 1980, 1984 और 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के जुल्फिकार अली खान को लगातार इस सीट पर जीत मिली। 1991 में रामपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार राजेंद्र कुमार शर्मा एक बार फिर चुनाव जीते। 1996 में फिर से कांग्रेस की उम्मीदवार बेगम नूर बानो ने बाजी मारी। 1998 में भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी को जीत मिली। 1999 में फिर से बेगम नूर बानो ने कांग्रेस को जीत दिलाई। 2004 और 2009 समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार जयाप्रदा ने रामपुर सीट से जीत दर्ज की। 2014 में मोदी लहर में भाजपा के डॉक्टर नेपाल सिंह इस सीट पर जीते लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के आजम खान ने जीत दर्ज की। 2022 के उपचुनाव में भाजपा के घनश्याम सिंह लोधी ने बाजी मारी है।